दोस्तो आज हमारे इस आर्टिकल में आप सभी को डाटा कम्युनिकेशन के बारे में जानकारी देने जा रहे है । अगर आप को इसके बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह आर्टिकल आप के लिए एक बहत ही उपयोगी आर्टिकल के रूप में साबित हो सकता है । हमने इस आर्टिकल में आप को डाटा कम्युनिकेशन से जुड़ा हुआ जरूरी जानकारियों को को देने की पूरी कोशिश किए है जिसे की आप को इसके बारे से सब कुछ समझ में आ सके । हम आप को इस आर्टिकल में एजुकेशन के हिसाब से जितने भी जरूरी जानकारियां है उसके बारे में सारे जानकारी दिए है । जैसे की डाटा कम्युनिकेशन क्या है ? नेटवर्क क्या है ये सब । तो चलिए इस आर्टिकल को अच्छे से पढ़ते है और इसके बारे में सारे जानकारी लेते है ।
What is data communication in Hindi?
Data communication का मतलब है जब कोई कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में कोई डेटा को आदान प्रदान किया जाता है तो उस प्रोसेस को हम डाटा कम्युनिकेशन कहते है । डेटा को आदान प्रदान करने के लिए ट्रांसमिशन मीडियम की अवश्यकता होती है । ट्रांसमिशन मीडियम दो तरह का हो सकता है वायर या वायरलेस ।
Network : Network हम उसे कहते है जिसके सहायता से हम एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर कम्युनिकेट कर पाते है या जिसके सहायता से हम अपने डेटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर शेयर कर पाते है । जैसे की आप सभी को पता होगा दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है इंटरनेट । यह कंप्यूटर नेटवर्क दो तरह के है वायर और वायरलेस ।
Effectiveness of data communication network :-
एक डेटा कम्युनिकेशन नेटवर्क का Effectiveness चार विशेषताएं पर निर्भर करता है :
Delivery
अगर आप आप के कंप्यूटर से आप किसी दूसरे के एक कंप्यूटर पर कोई डेटा भेज रहे हो तो वह डेटा उसी कंप्यूटर पर जाना चाहिए जिसपर आप भेजे है । यानी की आप डेस्टिनेशन A से कोई डेटा को डेस्टिनेशन B पर भेज रहे हो तो वह डेटा डेस्टिनेशन B पर ही डिलीवर होना चाहिए ।
Accuracy
आप जो डेटा रिसीवर को भेजे है बही डेटा रिसीवर के पास जाना चाहिए । मतलब आप किसी को अपना नंबर भेजे है जैसे की 00566 , तो यह नंबर रिसीवर को received होना चाहिए ।
Timeliness
Timeliness का मतलब है आप जो डेटा रिसीवर को भेजे है वह डेटा रिसीवर को समय पर और सही डेटा received होना चाहिए ।
Jitter
इसका मतलब है आप जो डेटा रिसीवर को भेजे है वह डेटा टाइम अराइवल या delay नहीं होना चाहिए । यानी की डेटा रिसीवर के पास एक दम करेक्ट टाइम पर पहुंचना चाहिए ।
Component of data communication
Data communication system मैं पांच तरह के कंपोनेंट होते है जो की है , मैसेज , sender, receiver, Transmission medium , Protocol ।
Message
यह एक जानकारी , सूचना या information होता है जो एक पर्सन से दूसरे पर्सन को भेजा जाता है । यह मैसेज कुछ भी हो सकता है जैसे की text, audio, video, document, Number, images etc ।
Sender
Data communication के दौरान sender एक डिवाइस है जो की डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में send करता है । यह डिवाइस कुछ भी हो सकता है जैसे की कंप्यूटर, लैपटाप, स्मार्टफोन ।
Receiver
Receiver भी एक डिवाइस ही होता है जो Sender के द्वारा भेजे गए मैसेज को received करता है । यह डिवाइस कुछ भी हो सकता है जैसे की कंप्यूटर, लैपटाप, स्मार्टफोन ।
Transmission medium
Transmission medium वह मार्ग जिसके जरिए रिसीवर डेटा को received कर पता है और सेंटर डेटा को send कर पता है । ट्रांसमिशन मीडियम से डेटा दो तरह से सेंड और received होते है वायर या वायरलेस । Transmission medium का example है फाइबर ऑप्टिक , Coaxial Cable ।
Protocol
यह कुछ रूल्स है जिसके जरिए डेटा कम्युनिकेशन संभव हो पाता है । या फिर एक सेट of rules होते है जिसके जरिए डेटा को आदान प्रदंकर सकते है । मतलब की प्रोटोल दो कम्युनिकेशन डिवाइस के बीच में एक एग्रीमेंट है, यह तय करता है की किस तरह से दो डिवाइस के बीच में डेटा आदान प्रदान होगा ।
डेटा flow in data communication
दो डिवाइस के बीच में डेटा फ्लो तीन तरह से होता है जो की है , सिम्पलेक्स, फुल डुप्लेक्स, हाफ डुप्लेक्स ।
Simplex
Simplex का मतलब है अगर दो डिवाइस आपस में जुड़े हुआ है तो दोनो में से कोई एक डिवाइस ही डेटा को ट्रांसमिट कर्सकता है और दूसरा रिसीव करता है । इसमें केवल डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में भेज सकते है , दूसरे डिवाइस से डेटा नही आ सकता है । मतलब की अगर आप डेटा सेंड करते हो तो आप सेंड ही सक्सकते हो रिसीव नहीं , अगर आप रिसीवर हो तो डेटा को received करसकते हो सेंड नही ।
Example :- इसका बढ़िया सा एग्जांपल है माउस अगर आप माउस से आप की मॉनिटर में कुछ सिग्नल भेजते तो वह वापस नहीं आता ।
Half duplex
Half duplex में सेंटर भी डेटा को भेज सकता है और रिसीवर भी डेटा भेज सकता है , पर same time पर दोनो डेटा सेंड नही करसकते इसलिए दोनो को अलग अलग टाइम में डेटा को सेंड करना होगा ।
Example :- walkie -talkie half duplex का example है ।
Full duplex
Full duplex में डेटा का आदान प्रदान दोनो तरफ से हो सकता है एक ही समय पर । मतलब की इसमें सेंटर और रिसीवर दोनो एक ही समय पर डेटा को सेंड करसकते है ।
Example :- इसका एग्जांपल है टेलीफोन लाइन , जिसमे एक ही समय पर दो व्यक्ति आपस में बर्तालाप कर सकते है ।
Network
Network हम उसे कहते है जिसके सहायता से हम एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर कम्युनिकेट कर पाते है या जिसके सहायता से हम अपने डेटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर शेयर कर पाते है । जैसे की आप सभी को पता होगा दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है इंटरनेट । यह कंप्यूटर नेटवर्क दो तरह के है वायर और वायरलेस । कंप्यूटर नेटवर्क can represented With two basic network Models: Peer-to -peer Client/server network और Dedicate client server network ।
Peer-to-peer client server network :-
Peer-to-peer का शॉर्ट फॉर्म होता है P2P । दो या दो से अधिक computers को आपस में जोड़कर उनकी फाइल्स एवं प्रिंटर को शेयर करना ही पियर टू पियर नेटवर्क कहा जाता है ।
Dedicate client server network :-
Protocol :-
Protocol का मतलब सामान्य मतलब होता है किसी चीज के लिए बनाया गया नियम । Network protocol का मतलब होता है set-of-rules । इसको डिजिटल कम्युनिकेशन में इस्तेमाल किया जाता है । Protocol के द्वारा यह तय किया जाता है को कंप्यूटर नेटवर्क पर डेटा केसे ट्रांसफर होगा और केसे received होगा । कंप्यूटर नेटवर्क में प्रोटोकॉल का बहत बड़ा रोल होता है । बिना प्रोटोकॉल के हम किसी के कंप्यूटर में डेटा नही भेज सकते न ही रिसीव कर सकते है , अगर हम आज किसी को सेवली डेटा को भेज पा रहे है या किसी से डेटा ले पा रहे है तो यह सब प्रोटोकॉल के वजह से हो पा रहा है । अगर आसान भाषा में समझे तो प्रोटोकॉल एक रूल है जिस रूल को पालन करके कंप्यूटर नेटवर्क या इंटरनेट का यूज किया जाता है ।
Types of protocol :-
कंप्यूटर नेटवर्क में बहत सारे नेटवर्क प्रोटोकॉल है , पर हम आप को कुछ महत्व पूर्ण प्रोटोकॉल के बारे में बताए है :
TCP (Transmission Control Protocol) :-
Transmission Control Protocol यानी की TCP , यह एक इंटरनेट कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल है , जो की इंटरनेट पर दो डिवाइस को आपस में मिलता है और उनके बीच डेटा को आदान करने की अनुमति देता है । Transmission Control Protocol (TCP) IP Protocol (Internet Protocol) के साथ मिलकर काम करता है ।
IP (Internet Protocol) :-
Internet protocol एक ऐसा प्रोटोकॉल है जो दो कंप्यूटर को इंटरनेट के जरिए मिलता है । और उनके बीच डेटा का आदान प्रदान भी करवाता है । हर कंप्यूटर में एक यूनिक Internet protocol (IP) होता है, जिस IP address कहा जाता है । IP address के वजह से इंटर पहचान पाता है की किस डिवाइस को क्या डेटा देना है ।
UDP (User Datagram Protocol) :-
UDP (User Datagram Protocol) यह TCP डेटा की तरह सिमिलर होता है परंतु UDP (User Datagram Protocol) में TCP जितनी कैपेबिलिटी नही होती है । यह प्रोटोकॉल स्मॉल साइज की डेटा को ट्रांसमिट करने में काम आता है । और यह स्मॉल साइज की डेटा को datagram कहा जाता है । यह प्रोटोकॉल IP Protocol के साथ मिलकर काम करता है । UDP (User Datagram Protocol) में अगर कोई data packet स्थानांतरण के दौरान खो जाता है, तो इसमे उसे regenerate करने की क्षमता नही होती है.
HTTP (Hypertext Transfer Protocol)
HTTP (Hypertext Transfer Protocol) प्रोटोकॉल वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) में web pages को transfer या एक्सेस करने के लिए बनाए गये नियमो का एक समूह है. इसके बिना web और client server protocol पर किसी भी तरह का data exchange नही किया जा सकता है. आप ने देखा होगा आप जब कोई भी इंटरनेट ब्राउज़र पर कुछ भी सर्च करते है तो आप को कुछ रिजल्ट मिलता है वेब pages के रूप में , तो को pages हमारे सामने आते है उसको लाने का काम करता है HTTP । HTTP एक एप्लीकेशन प्रोटोकॉल होता है ।
IMAP (Internet Massage Access Protocol) :
IMAP (Internet Massage Access Protocol) हमारे सारे mails को mail server में स्टोर करके रखता है । और जब हम अपने मेल आईडी और पासवर्ड देकर हम अपने मेल को लॉगिन करते है तो यह प्रोटोकॉल हमारे मेल को एक्सेस करने में मदद करता है ।
FTP (File Transfer Protocol) :
FTP (File Transfer Protocol) Internet पर किसी दो कंप्यूटर के बीच फाइल को ट्रांसमिट करने के लिए Standard Internet protocol हैं । इंटरनेट पर जितनी भी फाइल एक जगह से दूसरे जगह पर ट्रांसफर किया जाता है, या डाउनलोड किया जाता है, वह सब FTP Protocol के द्वारा होता है । यह data transfer को enable करने के लिए TCP/IP प्रोटोकॉल का उपयोग करता है.
OSI Models :-
OSI model यह describe करता है कि किसी नेटवर्क में डेटा या सूचना कैसे send तथा receive होती है। OSI मॉडल के सभी layers का अपना अलग अलग काम होता है जिससे कि डेटा एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक आसानी से पहुँच सके।
Layers of OSI MODEL
OSI model में निम्नलिखित 7 layers होती हैं :
जो है , फिजिकल, डेटा लिंक, नेटवर्क, ट्रांसपोर्ट , Session, presentation, Application layers।
Physical layers
OSI model में physical लेयर सबसे निम्नतम लेयर है। यह लेयर फिजिकल तथा इलेक्ट्रिकल कनेक्शन के लिए जिम्मेदार रहता है ।
Data link layer
OSI MODEL में डेटा लिंक लेयर नीचे से दूसरे नंबर की लेयर है। इस लेयर में नेटवर्क लेयर द्वारा भेजे गए डेटा के पैकेटों को decode तथा encode किया जाता है तथा यह लेयर यह भी ensure करता है कि डेटा के ये पैकेट्स त्रुटि रहित हो।
इस लेयर की दो sub-layers होती है:-
*MAC(मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल), तथा
**LLC(लॉजिक लिंक कण्ट्रोल)
Network layer :-
नेटवर्क लेयर OSI model का तीसरा लेयर है इस लेयर में switching तथा routing तकनीक का प्रयोग किया जाता है। नेटवर्क लेयर में जो डेटा होता है वह पैकेट के रूप में होता है और इन पैकेटों को source से destination तक पहुँचाने का काम नेटवर्क लेयर का होता है।
Transport layer :-
ट्रांसपोर्ट लेयर OSI मॉडल की चौथी लेयर है। इस लेयर का प्रयोग डेटा को नेटवर्क के मध्य में से सही तरीके से ट्रान्सफर किया जाता है। इस लेयर का कार्य दो कंप्यूटरों के मध्य कम्युनिकेशन को उपलब्ध कराना भी है।
Session layer :-
सेशन लेयर OSI model की पांचवी लेयर है जो कि बहुत सारें कंप्यूटरों के मध्य कनेक्शन को नियंत्रित करती है।
सेशन लेयर दो डिवाइसों के मध्य कम्युनिकेशन के लिए सेशन उपलब्ध कराता है
Presentation layer :-
presentation लेयर OSI मॉडल का छटवां लेयर है। इस लेयर का प्रयोग डेटा का encryption तथा decryption के लिए किया जाता है।
Application layer :-
एप्लीकेशन लेयर OSI model का सातवाँ (सबसे उच्चतम) लेयर है। एप्लीकेशन लेयर का मुख्य कार्य हमारी वास्तविक एप्लीकेशन तथा अन्य लयरों के मध्य interface कराना है।