Operating system को शॉर्ट फॉर्म में os कहा जाता है। Operating system एक system software होता है जो यूजर और कंप्यूटर के बीच इंटरफेस बनाता है ।ऑपरेटिंग सिस्टम को कंप्यूटर प्रोग्राम भी कहा जाता है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के होते है कैरेक्टर यूजर इंटरफेस (CUI) and ग्राफिक यूजर इंटरफेस (GUI) ।
एक्सोलेनेशन: अगर आप डेफिनेशन को नहीं समझ पाए है तो कोई बात नही हम आप को समझते है की ऑपरेटिंग सिस्टम होता क्या है ? जैसे की मेने बताया है कि ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है और कंप्यूटर प्रोग्राम होता है । कंप्यूटर प्रोग्राम और सिस्टम सॉफ्टवेयर का मतलब है कि यह जो है ये यूजर की दिया हुआ किसी भी instruction को कंप्यूटर को समझता है और कंप्यूटर यूजर के दिया हुआ इंस्ट्रक्शन को फॉलो करके अपने कार्य को परफॉर्म करता है । यह होता है ऑपरेटिंग सिस्टम मतलब यूजर और कंप्यूटर के बीच में एक प्रोग्राम है जो यूजर की इंस्ट्रक्शन को कंप्यूटर को समझता है और कंप्यूटर को इंस्ट्रक्शन को यूजर को समझता है । आप अपने कंप्यूटर में जितने भी सॉफ्टवेयर यूज करते होंगे वह सब ऑपरेटिंग सिस्टम के होने से ही आप उन सॉफ्टवेयर को यूज कर पाते है । मतलब ऑपरेटिंग सिस्टम एक बड़ा सा सॉफ्टवेयर है जिसमे बहत सारे छोटे छोटे सॉफ्टवेयर है । आसा करता हूं की आप सभी को समझ में आ गया होगा ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में ।
आगे देखते है ऑपरेटिंग सिस्टम की क्या क्या फंक्शन है ?
Memory Management
Memory Management operating systems का एक function होता है । Memory Management primary memory को मैनेज करता है । Memory Management सारे मेमोरी लोकेशन को ट्रैक करता है । मतलब की मेमोरी मैनेजमेंट एक प्रोसेस होता है जिसके माध्यम से मेमोरी को कंट्रोल और कोऑर्डिनेट किया जाता है । कौन सी प्रोसेस को किस समय पर मेमोरी दी जाएगी यह भी मेमोरी मैनेजमेंट तय करता है ।
Process Management
Process management भी ऑपरेटिंग सिस्टम का एक फंक्शन होता है । प्रोसेस मैनेजमेंट को समझने से पहले आप जान लीजिए प्रोसेस क्या होता है ? जब कोई प्रोग्राम का execution किया जाता है तो वह प्रक्रिया को प्रोसेस कहा जाता है । किसी भी प्रोसेस को पूरा होने के लिए इसे कंप्यूटर रिसोर्सेज की अवश्यकता होती है ।
प्रोसेस मैनेजमेंट ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा विभिन्न प्रोसेस को प्रबंधित करने की प्रक्रिया है, प्रोसेस मैनेजमेंट के अंतरगत नए प्रोसेस का निर्माण करना, उन्हें schedule (शिड्यूल) करना, किसी प्रोसेस के निष्पादन को समाप्त करना, और अगर किसी कारण से प्रोसेस का निष्पादन पूरा होने से पहले ही रुक जाता है, तो उन कारणों का पता करके उन्हें फिर से चालू करना जैसे विभिन्न कार्य सम्मिलित है।
File Management
File management के बारे में जानने से पहले हमे फाइल क्या होता है यह पता होना चाहिए तो चलिए जानते है फाइल क्या होता है ? फाइल बहत सारे डाटा का कलेक्शन होता है जिसको मेमोरी में एक यूनिट में स्टोर करके रखा गया होता है । और इसे मेमोरी में एक फाइल के नेम से आइडेंटिफाई किया हुआ होता है । फाइल के अंदर जो डाटा होता है वह कुछ भी होसकता है जैसे की , ऑडियो, वीडियो, text, application ,photos etc ।
File management operating systems का एक फंक्शन होता है जो तय करता है कंप्यूटर मेमोरी को केसे मैनेज किया जाए , जैसे की कंप्यूटर मेमोरी में नया फाइल को बनाना , अपडेट करना , डिलीट करता etc । मतलब की फाइल मैनेजमेंट यह तय करता है की कंप्यूटर मेमोरी में फाइल्स को किस तरह से जमा जिया जाए , यूज हटाया जाए ताकि उसका सही से इस्तेमाल कर सके ।
Input/ output Management
Input/ output Management भी ऑपरेटिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण कार्य है यह कंप्यूटर सिस्टम की सारे इनपुट/ output कार्य को मैनेज करता है । जैसे की हम कीबोर्ड से कुछ डाटा इनपुट करते है तो इसको मैनेज करने का काम होता है , इसके अलावा माउस , नेटवर्क कनेक्शन, on/off , printer , audio etc input/output प्रक्रिया को निस्पादित करता है ।
Security Management
Security Management भी ऑपरेटिंग सिस्टम का एक फंक्शन होता है जो की मैनेज करता है हमारे कंप्यूटर सिस्टम की सिक्योरिटी को । मतलब की आप अगर आप का कंप्यूटर डिवाइस को जब भी on करते हो तो आप को एक सिक्योरिटी पासवर्ड पूछता है और आप ने जो पासवर्ड सेट किए होते है वह पासवर्ड दे कर आप अपने कंप्यूटर सिस्टम के अंदर जा सकते है और कुछ भी काम को कर सकते है । मतलब की आप का ऑपरेटिंग सिस्टम आपके के सिस्टम को Unauthenticated Access से रोकता है । यह होता है सिक्योरिटी मैनेजमेंट ।
Device Management
Device Management भी ऑपरेटिंग सिस्टम का एक फंक्शन है । आप को पता होगा कंप्यूटर में ड्राइवर होते है जैसे की , ब्लूटूथ ड्राइवर, ग्राफिक ड्राइवर , साउंड ड्राइवर लेकिन यह अलग अलग I/O devices को चलाने में मदत करते है, पर इन ड्राइवर को ऑपरेटिंग सिस्टम चलता है इसी को हम डिवाइस management कहते है ।
Resource Management :-
Resource management भी ऑपरेटिंग सिस्टम का एक फंक्शन है । यह ऑपरेटिंग सिस्टम में उपयोग होनी वाली एक महत्वपूर्ण process है. रिसोर्स मैनेजमेंट विशेष रूप से system resource जैसे की CPU , Random Access Memory, Secondary Storage Device, etc को process, threads और applications को सौपा जाता है । यह आमतौर पर उच्च प्रक्रिया, सेवा की गुणवत्ता, निष्पक्षता और सभी प्रक्रियाओं के बीच balance रखता है।
चलिए अब जानते है ऑपरेटिंग सिस्टम कितने प्रकार के होते है ?
Batch operating system
Batch operating system दूसरी पीढ़ी में इस्तेमाल होने वाले पहला ऑपरेटिंग सिस्टम है । जैसे की इसके नाम से ही हमे पता चल रहा है की यह बैच of job है । मतलब की सिमिलर kind of job का एक बैच हम बना रहे है और कंप्यूटर को दे रहेगा ताकि कंप्यूटर उसको एक्जिक्यूट कर सके , यह होता है बैच ऑपरेटिंग सिस्टम । बैच ऑपरेटिंग सिस्टम में काम कुछ इस तरह से होता है की , यूजर अपने job को ऑफलाइन पंच कार्ड के ऊपर लोड करदेते थे और उसे ऑपरेटर को दे देते थे । ऑपरेटर सिमिलर kind of job का एक बैच वना देते है । अब आप को अपने रिजल्ट लेने के लिए फिर से ऑपरेटर के पास जाना होगा और अपने रिजल्ट को ले कर अपना होगा और उसको अपने लब में या आप के पंच कार्ड में लगाना होता था ।
आइए बैच ऑपरेटिंग सिस्टम किस तरह से का करता है फोटो को देख कर समझते है ।
Time sharing operating system
Time sharing operating systems में एक से ज्यादा यूजर एक ही कंप्यूटर को चलाने के लिए प्रभावी प्रबन्धन करता है, इशे टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है । टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में एक से ज्यादा यूजर को समय को बाट ता है इसीलिए इसको टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है । मतलब की इसमें जो भी टास्क होता है वो या तो single user से हो सकता या फिर multi user से भी हो सकता है. प्रत्येक task को पूर्ण करने के लिए जितना समय लगता है उसे quantum बोलते है. वहीँ हर टास्क को पूर्ण करने के बाद ही OS फिर अगले टास्क को शुरू कर देता है. इसे मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहा जाता है।
Distributed operating system
Distributed operating system वह होता है जो एक ही सिस्टम में बहत सारे कार्य को परफॉर्म करता है । जैसे की एक प्रिंटर में बहत सारे कंप्यूटर डिवाइस कनेक्ट है और अगर कुछ प्रिंट करना हो तो हर कोई अपने कंप्यूटर से ही प्रिंटर में प्रिंट कर लेता है , पर प्रिंटर एक ही है एक प्रिंटर में ही सारे कंप्यूटर का दिया गया इंस्ट्रक्शन प्रिंट होगा इसको हम डिस्ट्रब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम कहते है । अगर और एक example की बात करे हो एक ही नेटवर्क में बहत सारे कंप्यूटर का कनेक्ट होना भी डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम है ।
Network operating system
Network operating systems एक कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम है जो बहत सारे ऑटोनोमस कंप्यूटर को अपने नेटवर्क से आपस में जोड़ता है और कम्युनिकेट करवाता है । इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य कार्य अपने क्लाइंट को डाटा, संसाधन, सुरक्षा और यातायात की गतिविधियों से सम्बन्धित कार्य का प्रबंधन करना होता है. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम से हम हार्डवेयर से भी कम्युनिकेट कर सकते है जैसे की हम प्रिंटर यूज करते है । प्रिंटर में कुछ प्रिंट करवाने के लिए हम अपने कंप्यूटर को कुछ इंस्ट्रक्शन देते है और कंप्यूटर नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम के सहायता से कम्युनिकेट करता है प्रिंटर से और हमारे दिए गए इंस्ट्रक्शन को प्रिंट करता है ।
नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम की दो बेसिक प्रकार होते है :
1- peer -to-peer NOS
2- client/server NOS
Rial time operating system
Rial time operating system इसकी नाम से ही पता चलता है की यह रियल टाइम में टास्क को परफॉर्म करता है । जैसे की रेलवे टिकट बुकिंग, इसमें भी रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम यूज होता है । यह एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम है । रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो प्रकार के होते है :
1- हार्ड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
2- सॉफ्ट रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
Multiprocessing operating system
अगर आसान भाषा में समझे multiprocessing को तो एक समय एक या एक से अधिक कार्य को करने के लिए हमारे कंप्यूटर सिस्टम में दो या दो से अधिक CPU रहते है , और एक ही समय पर उन कार्य को सम्पन्न करते है , इसी को मल्टी प्रोसेसिंग कहा जाता है । मल्टी प्रोसेसिंग सिस्टम का निर्माण मल्टी प्रोसेसर सिस्टम को ध्यान में रखते हुआ बनाया गया है ।
Multitasking operating system
Multitasking operating system को मल्टी प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम भी कहा जाता है । क्यों की मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम में भी एक समय में बहत सारे कार्य को सम्पन्न करता है । इसमें एक सिस्टम में एक समय पर बहत सारे कार्य होता है और इसे करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम टाइम शेड्यूलिंग का इस्तेमाल करता है । यह सब प्रोसेसिंग इतनी तेजी से होता है की यूजर को पता नहीं चल पाता की एक बार में एक ही प्रोसेसर execution हो रहा है ।
एग्जांपल : अगर आप अपने कंप्यूटर में एक डॉक्यूमेंट पर गूगल पर कुछ सर्च कर रहे है और दूसरे डॉक्यूमेंट में आप कोई म्यूजिक सुन रहे है तो यह आप का कंप्यूटर मल्टीटास्किंग कार्य परफॉर्म कर रहा है ।
Multi programming operating system
Multiprogramming operating system में एक समय में बहत सारे प्रोग्राम को एक्जिक्यूट करना multiprogramming ऑपरेटिंग सिस्टम कहा जाता है । इसमें जब CPU में एक प्रोग्राम एक्जिक्यूट होता है तो दूसरा कंप्यूटर प्राइमरी मेमोरी में वैट कर रहा होता है और जब दूसरा प्रोग्राम एक्जिक्यूट हो रहा होता है तो बाकी के प्रोग्राम प्राइमरी मेमोरी यानी की RAM में वैट कर रहे होते है । पर यह सारे काम इतनी तेजी से होता है की यूजर को पता नहीं चलाता की एक समय पर एक ही प्रोग्राम एक्जिक्यूट हो रहा है , यूजर यह सोच रहा होता है की एक समय पर सारे प्रोग्राम एक्जिक्यूट होता है लेकिन वास्तव में एक समय पर एक ही प्रोग्राम एक्जिक्यूट होता है ।
Structure of operating system :-
यहां पर चार प्रकार का operrating system structure है जिसके बारे में नीचे बताया गया है,
1- Simple Structure
इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम छोटे, सरल और सीमित सिस्टम के रूप में शुरू होते थे और फिर अपने मूल दायरे से आगे बढ़ते थे। MS-DOS इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम का example है । यह मूल रूप से कुछ लोगों द्वारा डिजाइन और कार्यान्वित किया गया था जिनके पास कोई विचार नहीं था कि यह इतना लोकप्रिय हो जाएगा।
2- Layered Approach Structure
Layered approach structure operating system का एक ऐसा विधि है जिससे ऑपरेटिंग सिस्टम को बिभीर्न सतहों में विभाजित कर , उसे डिवेलप करता है । प्रत्येक सतह नीचे वाले सतह के शीर्ष पर बनाए जाते है । सबसे नीचे की सतह हार्डवेयर की होती है और सबसे ऊपर की सतह यूजर इंटरफेस की होती है ।
3- Micro Kernel Approach Structure
कर्नल स्ट्रक्चर अप्रोच में ऑपरेटिंग सिस्टम को दो अलग अलग भागो में बांटकर डिजाइन और डिवेलप किया जाता है । मतलब की कर्नल अप्रोच में बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम दो अलग अलग भागो में बना होता है । इसी दो भागो में से एक भाग को कर्नल कहा जाता है और दूसरा भाग में सिस्टम प्रोग्राम होता है । कर्नल ऑपरेटिंग सिस्टम में हार्डवेयर सिस्टम में इंटरफेस बनाता है ।
4- Modular design Structure
Modular design Structure operating system का एक ऐसा अप्रोच है जो की सिस्टम को छोटे छोटे पार्ट में विभाजित कर देता हैं, जिसको हम modules कहते है । इसको इंडिपेंटेंट तरीको से क्रिएट किया जाता हैं और क्रिएट करने के बाद अलग अलग सिस्टम में इसको प्रयोग किया जाता है ।